आज बृहस्पतिवार को नगर निगम रुड़की परिसर में श्री गुरू रविदास विश्व महापीठ के तत्वाधान में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में पहुचें दुष्यन्त कुमार गौतम अर्न्तराष्टीय अध्यक्ष पूर्व राज्यसभा संासद प्रभारी उत्तराखण्ड भाजपा के प्रथम बार गुरू रविदास घाट आगमन पर विचार गौष्ठी का आयोजन कार्यक्रम संयोजिका वैज्यन्ति माला के नेृत्तव में किया गया। विचार गौष्ठी में श्री गुरू रविदास विश्व महापीठ के राष्ट्रीय सचिव, पूर्व विधायक, प्रदेश उपाध्यक्ष भाजपा ने कहा कि हमारे देश का संविधान संसदीय लोकतान्त्रिक राज व्यवस्था पर आधारित हैं जिसमें सामाजिक न्याय, स्वत्रंत्रता, समरसता एवं समानता जैसे नैतिक मूल्यों के आधार पर देश की एकता और अखंडता कायम रखने वाली बन्धुत्वता एवं भाईचारे पर बल दिया गया हैं। वहीँ दुनियाँकी प्राचीनतम हमारी सनातन संस्कृति एवं धर्म -ुनवज;वशुदेव कुटुम्भकंभ-ुनवज; के सिद्धांत पर आपसे भाईचारे पर आधारित हैं जहाँ प्रत्येक व्यक्ति को कर्म के आधार पर अपनी श्रेष्ठता को सिद्ध करना होता था, जन्म आधारित श्रेष्ठता का कोई मूल्य नहीं हुआ करता था लेकिन समय बदलने के साथ साथ हमारी संस्कृति एवं परम्परा भी बदलने लगी, हमने कर्म आधारित श्रेष्ठता के बजाये जन्म के आधार पर व्यक्ति की श्रेष्ठता को स्वीकार लिया, तब से हमारा सामाजिक तानाबाना बिखरने लगा, जातिय गौरव की आड़ में एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को हीन समझने लगा। एक वर्ग अपनी जन्म आधारित जाति के आधार पर अपने को श्रेष्ठ सिद्ध करने लगा, वहीँ समाज का एक बड़ा वर्ग अपनी जाति को अभिशाप मान अपने को हीन और दीन समझने बैठा और अपनी जाति से जिसमें उसने जन्म लिया उसी जाति को सम्मानित जीविका के लिए सबसे बड़ा अवरोध समझ उससे घर्णा करने को विवश हो गया। दलितों पर होने वाला अन्याय, अत्याचार और उत्पीड़न उसके धर्म के आधार पर कम बल्कि जाति के आधार पर अधिक होता हैं
कार्यक्रम में आये मुख्य अतिथि ने जातिये गौरव की महत्वता को समझाते हुए, रविदास की वाणी में खलास चामर, पंजाब के गानों में पूत चमारा दे का जिकर कर कहा जब लोहार का सामान बनाने वाला लोहार कहलाता हैं तो चमड़े का सामान बेचने वाला चमार ही होगा। रविदास जी ने कहा कहे रविदास खलास चमारा, जो हम सहरी सो मीत हमारा । उन्होंने बच्चों को शिक्षित करने पर जोर देते हुए, समाज को गुरु जी के नाम से एक सूत्र में पिरोने का संकल्प लिया
वैजयंती माला जी ने कहा गुरु जी ने लगभग 650 वर्ष पूर्व प्रजातन्त्र की बात कही जिसमें एक ऐसे राज की कल्पना की जहाँ कोई भूखा ना सोये, छोटे और बड़ों में कोई अंतर ना हो , सभी को समान अवसर हासिल हो, हमारे स्वतंत्र भारत का संविधान में भी बाबा साहब ने गुरु जी की बात को बड़ी मजबूती सेमौलिक अधिकार के रूप में रखा हैं, हमारा संविधान भी कहता हैं ki सभी को संजीक , राजनीतिक,एवं आर्थिक न्याय मिले, सभी को स्वतंत्रता एवं समान अवसर हासिल हो, देश की एकता और अखंडता वाले भाईचारा कायम हो ।
भारत का इतिहास रहा है, जब भी देश को जरूरत हुई है, कोई न कोई संत, ऋषि, महान विभूति भारत में जन्म लेते हैं। रविदास जी तो उस भक्ति आंदोलन के महान संत थे, जिसने कमजोर और विभाजित हो चुके भारत को नई ऊर्जा दी थी। रविदास जी ने समाज को आज़ादी का महत्व भी बताया था,
पराधीन का दीन क्या, पराधीन बेदीन।
रविदास परा अधीन को सभेही समझै हीन।।
और सामाजिक विभाजन को भी पाटने का काम किया था। ऊंच-नीच, छुआछूत, भेदभाव, इस सबके खिलाफ उन्होंने उस दौर में आवाज़ उठाई थी।
रैदास जन्म के कारने होत न कोई नीच।
नर कूं नीच कर डारि है, ओछे करम की नीच।
संत रविदास एक ऐसे संत हैं, जिन्हें मत मजहब, पंथ, विचारधारा की सीमाओं में नहीं बांधा जा सकता। रविदास जी सबके हैं, और सब रविदास जी के हैं। जगद्गुरु रामानन्द के शिष्य के रूप में उन्हें वैष्णव समाज भी अपना गुरु मानता है।
संत रविदास जी ने किसी की योग्यता का आँकलन जातिय आधार के बजाय ज्ञान और अनुभव के आधार पर कियाऔर बड़ी कड़वी भाषा में कह डाला
ब्राह्मण मत पूजिय जो होवे गुण हीन ।
पुजिए चरण चांडाल के जो होवे गुण प्रवीण ।।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से आशोक भारती राष्ट्रीय अध्यक्ष, सिमा सिंह बी0डी0सी0,राम सिंह बी0डी0सी0 सिकरौढा, राधेश्याम प्रधान, जिला उपाध्यक्ष सूर्यवीर मलिक, भीम सिंह, प्रदीप पाल, सावित्री मंगला, जिला मंत्री सतीश सैनी, गीता कार्की, जिला मीडिया प्रभारी पंकज नंदा, मनोज नायक,मनोज कुमार पार्षद, मंजू पार्षद, अन्नु पार्षद, विपिन कुमार जिला पंचायत सदस्य, यशपाल ढंढेरा, रोमा सैनी , प्रमाद चौधरी , ब्रिजेश रहीमपुर, भूरा प्रधान लाठरदेवा हूण आदि गणमान्य लोग उपस्थित रहे।